चम्पा :
चम्पा के पेड़ बगीचों में लगाये जाते है। इसके पत्ते लम्बे-लम्बे महुआ के पत्तों की भाति पीले रंग के तथा कोमल होते हैं। इसके फूल पीले 4-5 पंखुडियों सहित 5-7 केसरों से युक्त होते है। मालवा देश में इसकी उत्पत्ति अधिक ………………
चीड़ :चीड़ का बाहरी उपयोग कई प्रकार के रोगों को ठीक करने के काम में आता है जैसे –पूतिकर(Antiseptic) (नाक से बदबूदार गंध आना) ,प्रदाह(जलन), रक्त-वाहिनियों का. …. ……. ….
चिलबिल :
इसमें निम्न प्रकार के गुण पाये जाते है जैसे –रूक्ष (रूखापन) (खुश्क),अनुकूल, छोटा,तेज (तीखा या तिक्त), कटु-विपाक(खटा), उष्णवीय(गर्म प्रकृति वाला), कफ –पित्ताशामक… ……. ….
चिल्ला :चिल्ला गर्म प्रकृति वाला, मूत्रल (पेशाब की मात्रा बढ़ाने वाला), रक्तशोधक (खून को सोखने वाला), कफवातनाशक(कफ को नष्ट करने वाला), धातुपुष्टिकर (वीर्य को.. …. ……. ….
चमेली :
चमेली की बेल आमतौर पर घरों, बगीचों में आमतौर पर सारे भारत में लगाई जाती है जिसके फूलों की खुशबू बड़ी मादक और मन को प्रसन्न करती है। उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद, जौनपुर, और गाजीपुर जिले में इसे विशेष………..
चना (GRAM) :चना शरीर में ताकत लाने वाले और भोजन में रूचि पैदा करने वाले होते है। सूखे भुने हुए चने बहुत रूक्ष और वात तथा कुष्ठ को कुपित करने वाले होते है। उबले हुए चने कोमल, रूचिकारक, पित्त, शुक्रनाशक, शीतल, कषैले………..
छाछ :
छाछ या मट्ठा शरीर में उपस्थित विजातीय तत्वों को बाहर निकालकर नया जीवन प्रदान करता है। यह शरीर में प्रतिरोधात्मक(रोगों से लड़ने की शक्ति) शक्ति पैदा करता है। छाछ में घी नहीं होना चाहिए। गाय के दूध से………….
छाल :बूटी अथवा पेड़ों की छाल और बक्कल को युवावस्था में ही उतारना चाहिए। मुर्झाये एंव सूखे पेड़ की छाल में गुण कम हो जाते है। पेड़ की हरी भरी अवस्था में छाल आसानी से उतर जाती है। अतः बसंत ऋतु से पहले या………………
छोंकर “समी”)
छोंकर को “समी” भी कहते है। इसके पेड़ होते है। इसके पत्तों की आकृति इमली के पत्तों के आकार की होती है। इसका उपयोग हवन के काम में भी किया जाता है। बहुत से स्थानों पर विजयदशमी (दशहरा) के दिन इसका पूजन………….
छुई-मुई :छुई-मुई शीतल, तीखा, रक्तपित्त, अतिसार(दस्त) तथा योनिरोग नाशक है।………
चोबचीनी :
चोबचीनी ताकत को बढ़ाती है। खून को साफ करती है। यह शरीर की गर्मी को स्थाई बनाती है। यह फालिज लकवा और दिमागी बीमारी के लिए बहुत हानिकारक होता है। यह गर्भाशय और गुदा बीमारियों में लाभदायक………..
चोब हयात :चोब हयात सूजन को पचाता है। यह दर्द को रोकता है। जहर को पचाता है। यह काबिज है। यह हैजा दस्तों और जी मिचलाने को रोकती है, इसका मरहम घाव को भर…………….
छोंगर :
छोंगर फोड़ो को पकाकर फोड़्ती है। इसका फल कर्ण मूल और भगंदर को दूर करता है।………..
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